Friday, January 30, 2009

प्यास

ना भुज पाए रेजिस्थान की प्यास.....
भूंदे आधूरे खवाब बन जाए..
रोक ना पाए झूमती नधी को कोई.....
साहिल को हक़ीकत में पा जाए....


राहो में, प्यार का न्योता आया....
बावरी हुई....थामा हाथ,उड़ने लगी,
सुनहरे रंग से रॅंगी बेरंग दुनिया....
अपने ज़ाहा की महारानी बनी....


अंजान थी, कब सवेरा हुआ....
आँखें खुली, सपना आधूरा रह गया...
प्यार किया था मैने,बाकी था..
बधकने लगी मेरी आधुरी प्यास....


क्या करू,अब कभी नींध नही आती....
बादलों में तलाशती हूँ तूमे.....
ख़ास!! ख़यालों से छीन लाउ....
गले लगालू, तुम्हारे ही करीब आ जाउँ....


अंगूलिया उठी, हसी दुनिया वीराने पर...
बोलो!! रेजिस्थान का कोई आस्तित्व नही?????
खुश हूँ मैं, और क्यूँ ना हौं....
ख़यालों क जाहान में मैने पाया है “तूमे”....


2 comments:

  1. बाकी सब कुछ तो ठीक है.........बस एक ही कमी है......टाइपिंग की अशुद्दियां...........कृपया ध्यान रखें.......!!

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  2. achchhe bhaw hai.

    -----------------------------------"VISHAL"

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